क्षयरोग में दवा का असर जानने के लिए होगी सीबीनाट और ट्रूनाट जांच प्रशिक्षण
जौनपुर : राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन अभियान के तहत मुख्य चिकित्साधिकारी सभागार में मंगलवार को जनपद के सभी माइक्रोस्कोपिक केंद्रों के लैब टेक्नीशियन (एलटी) का 'प्रोग्रेमेटिक मैनेजमेंट ऑफ ड्रग रेजिस्टेंस टीबी' विषय पर प्रशिक्षण हुआ।
बताया गया कि सामान्य क्षय रोगियों को दी जाने वाली दवाएं जैसे रिफॉम्प्सिन एवं आइसोनियाजिड का जिन पर असर नहीं होता है, उनका उपचार शुरू होते ही इन दवाओं का असर जानने के लिए सीबीनाट/ट्रू नाट से जांच की जाएगी। इसके माध्यम से उनमें फर्स्ट लाइन और सेकंड लाइन ड्रग्स रेजिस्टेंस (दवा का असर न होना) की जांच कराई जाएगी। इससे मरीज में क्षय रोग की गंभीरता और दवाओं के प्रभाव का जल्द पता चल जाएगा और मरीज के इलाज में उसकी गंभीरता के अनुसार दवाएं दी जा सकेंगी। ऐसा कर उसका उपचार सफलता के साथ पूरा हो सकेगा। 2025 तक क्षयरोग के उन्मूलन के लिए सामान्य क्षय रोगियो में विकसित होने वाले ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर) की घातकता की समय से जांच के माध्यम से पता लगाकर उसे क्षयरोग मुक्त करने का अभियान युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। 2021 से अब तक कुल 6432 क्षयरोगी खोजे गए और उनका उपचार हो रहा है। इसमें से 253 मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) के रोगी भी सम्मिलित हैं। अब तक कुल उपचार किए जा रहे क्षयरोगियों के सापेक्ष 2021 में निक्षय पोषण योजना में क्षयरोगियों की पोषण में मदद के लिए कुल 1,74,05,500 रुपए की धनराशि उनके खातों में भेजी गई है। जब से निक्षय पोषण योजना शुरू की गई है तब से अब तक 2018 से 2021 तक 4,92,43,000 रुपए की धनराशि उनके खाते में भेजी गई है। पब्लिक और प्राइवेट दोनों सेक्टर के क्षयरोगियों को जिला क्षय नियंत्रण केंंद्र से सभी को डीबीटी की धनराशि देते हुए प्राइवेट सेक्टर में जिन चिकित्सालयों ने क्षयरोगियों की जांच एवं उपचार की सूचना कार्यालय को उपलब्ध कराते हैं। उनकी धनराशि इसी सप्ताह में उनके खाते में भेजने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। प्रशिक्षण सत्र में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राकेश कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) सलिल यादव, ट्रेनर सीनियर ट्रीटमेंट लैब सुपरवाइजर (एसटीएलएस) राजीव श्रीवास्तव, डॉ सुशील अग्रहरि, पब्लिक प्राइवेट मिक्स कोआर्डिनेटर (पीपीएम) रामबचन, पीयूष गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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