होली खेले मसाने में, बनारस की मशहूर काशी में चिता भष्म की होली
वाराणसी : दुनिया भर में मशहूर काशी में हुआ चिता भष्म होली का आयोजन भगवान शिव की नगरी में खेली जाती है चिता भष्म होली अबीर गुलाल की जगह जलती चिताओं के राख से लोग खेलते हैं होली हरिश्चन्द्र घाट पर होली खेलने से पहले निकली शोभायात्रा शोभायात्रा में गोपी और राधा की जगह भगवान शिव के साथ खेलते है भूत , प्रेत, निसाचर राख से होली इसी परंपरा को पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने पिरोया था गीतों में खेले मसाने में होली, दिगंबर खेले मसाने में होली , पंडित छन्नू लाल मिश्रा की एक कालजयी रचना इसी परंपरा पर आधारित थी देश विदेश से इस मसाने होली को देखने पहुंचते हैं सैलानी एक दिन हरिश्चन्द्र घाट और दूसरे दिन मनिकर्णिका घाट पर खेली जाती है मसाने होली बड़ी संख्या में युवतियां भी दिखी मस्ती में सराबोर धर्म एवम अध्यात्म की नगरी काशी में जहां एक तरफ भगवान भोलेनाथ माता गौरा का गौना करवाने पहुंचे तो वही दूसरी ओर उनके भक्त गौना के समय काशी में जमकर होली खेली। भगवान शिव के साथ उनके आराध्य देवतागण व भूत - पिचास के रूप में भक्तों ने मां गंगा के तट पर जलती चिताओ के बीच रंग गुलाल व चिता भस्म की होली खेली। इस अनोखे होली के उत्सव में हजारों की संख्या में देश के विभिन्न राज्यो से आए श्रद्धालु शामिल हुए। कैसी है यह अनोखी होली देखिए हमारे इस खास रिपोर्ट में। यूं तो हमारे देश मे मथुरा के बरसाने की होली बेहद मशहूर है। सप्ताह भर से इस होली में शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में लोग देश - विदेश से आते है , लेकिन इसके बीच हमारे देश मे परंपराओं के शहर वाराणासी में अनोखी होली मनाई जाती है । ये होली कोई और नही बल्कि खुद भगवान शिव काशी में मनाने के लिए आते है। आज के दिन भगवान सभी देवगणों के साथ अपने भक्त भूत - पिचाश के साथ माता का गौना करवाने के लिए काशी पहुंचते है। इसी के बीच बाबा कीनाराम आश्रम से बाबा की निकली झांकी होली के हुड़दंग के साथ हरिश्चंद्र घाट पहुंची। हरिश्चन्द्र घाट पर भूत - पिचाश के साथ जलती चिताओ के बीच रंग - गुलाल के अलावा चिता के भस्म से होली खेली। इस अद्भुत और अद्वैतीय होली के नजारे को अपने आंखों से देखने के लिए हजारों की संख्या में देखने वाले भी शोभा यात्रा के साथ साथ हरिश्चन्द्र घाट तक पहुंचे
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