शाहगंज ( जौनपुर) उत्तर प्रदेश में होने जा रहे निकाय चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में इस बार एक तीर से दो निशाने साधेगी। सूत्र बताते हैं कि हाईकमान स्तर से होने वाली इस प्रक्रिया में किसी नेता को टिकट देने की सिफारिश करने वाले की भी नीयत और स्वार्थ को क्रॉसचेक किया जाना है। असल में उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टी की ओर से एक सर्वे कराया जा रहा है। कुछ सर्वे एजेंसी के जरिये फीडबैक भी लिया जा रहा है। इस बीच खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेतातमाम जिलों का दौरा कर चुनावी टोह लेने के साथ-साथ अपने खास लोगों से निरन्तर जानकारियां बटोर रहे हैं।
गौरतलब हो कि आज नगर पालिका अध्यक्ष व नगर पंचायत और महापौर की आरक्षण सूची जारी हो चुकी हैं ।
सूत्र यह भी बताते हैं कि भाजपा ने निकाय चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन का एक फार्मूला तय कर लिया है। इस फार्मूले के मुताबिक, टिकट वितरण प्रक्रिया में होने वाले निकाय चुनाव मे लगभग 40 प्रतिशत अधिक पुराने उम्मीदवारों के चेहरे बदले जा सकतें हैं । इस क्रम में 2017 में चुनाव जीते और हारे उम्मीदवार भी शामिल होंगे। भाजपा की इस उम्मीदवारी चयन प्रक्रिया में आरएसएस संघ की भूमिका भी अहम होगी।
एक बात तो तय है कि, बीते साढ़े चार बरसों के दौरान संगठन व पार्टी की गतिविधियों में निष्क्रिय रहने वाले चेयरमैन व पंचायत अध्यक्षों का टिकट कटेगा। इस दौरान विवादों में घिरें रहने वाले अध्यक्षों को भी दरकिनार किया जा सकता है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो उम्मीदवारों के चयन के लिए हर संगठनात्मक जिले से उनके क्षेत्राधिकार की सीटों पर तीन-तीन नामों का सुझाव मंगाया जाना है। वहीं, क्षेत्रीय टीमों से भी तीन-तीन नामों का पैनल मंगाया जाएगा। क्षेत्र व जिलों से आए पैनल पर मंथन कर बीजेपी के प्रदेश चुनाव प्रभारी व जिम्मेदार कमेटी भी तीन-तीन नामों का पैनल तैयार करेगी। कमेटी की ओर से हर सीट के लिए वरीयता के क्रम में दो से तीन नाम का पैनल तैयार कर बीजेपी पार्टी हाईकमान के समक्ष रखा जाना है।
✍️..... कुमार विवेक
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